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गुरुवार, 21 जुलाई 2011

वसंत

माँ
एक ऐसी वसंत है
जो ,हर पतझर में बचा लेती है
ममता भरी हरी पतियाँ
खिरनी की तरह
कभी पुरे नही झरते उसके पत्ते
और नही ख़त्म होती छाहं
उसकी कभी भी

बुधवार, 13 जुलाई 2011

बूँदें

टप-टप .......

बारिश की बूंदों ने

भिंगो दिया

और सज गयी महफ़िल

आँखों के आगे

जब उतर आई थी बुँदे

एक अनजान शहर से ,

गिरती रही

गाते हुए राग-मल्हार,

और तुम्हारी याद का सितार

बजता रहा अपने ही धुन में,

फकत इतना की तुम न आयी

और बुँदे बारिश की

टप-टप ......

आती रही तुम्हारे ही दरिया से