अब जबकि हम सबसे नजदीक है
तब,सबसे अधिक दुरी है हमारे बीच
ठीक वैसे ही ,जैसे
एक गर्म चाय की प्याली और होंठो के बीच
हजारों मील की होती है
दिल्ली हादसों का नही इतिहास का शहर हैं...और यहाँ इतिहास किसी सल्तनत का नही शहर का हैं और शहर में कैद मुहब्बतों का है. हां, अपने पीछे छुट गए शहर के झरोंखों में झांकता हूँ तो तुम यादों की पोटली बन जाती हैं जिसे तुमने 'क्यूं' और 'क्या' के गिरह में बाँध रखा है.
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