टप-टप .......
बारिश की बूंदों ने
भिंगो दिया
और सज गयी महफ़िल
आँखों के आगे
जब उतर आई थी बुँदे
एक अनजान शहर से ,
गिरती रही
गाते हुए राग-मल्हार,
और तुम्हारी याद का सितार
बजता रहा अपने ही धुन में,
फकत इतना की तुम न आयी
और बुँदे बारिश की
टप-टप ......
आती रही तुम्हारे ही दरिया से
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