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बुधवार, 13 जुलाई 2011

बूँदें

टप-टप .......

बारिश की बूंदों ने

भिंगो दिया

और सज गयी महफ़िल

आँखों के आगे

जब उतर आई थी बुँदे

एक अनजान शहर से ,

गिरती रही

गाते हुए राग-मल्हार,

और तुम्हारी याद का सितार

बजता रहा अपने ही धुन में,

फकत इतना की तुम न आयी

और बुँदे बारिश की

टप-टप ......

आती रही तुम्हारे ही दरिया से

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