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सोमवार, 6 जून 2011

सुबह-सुबह

माँ
हा माँ
चढ़ा क्या देती है ...
एक लोट्की जल सूर्य को
बस उतने में ही
मांग लेती है
सूर्य की लालिमा
लोट्की में सबके लिये
और प्रार्थना में
बाँट देती है रोजाना
अपनी उम्र के हिस्से
उनको ..इनको ...सबको ...
जब नही बचता कुछ
पास अपने.....

तब,आते ही भर लेती जल
लोट्की में
रख देती वही.... सामने
जोड़कर हाथ
चल देती पांच भवंर
पृथ्वी के
सुबह-सुबह

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