आसमां में
कोई पेड़ नही उगता
वरना
वहां भी होती एक चिड़ियाँ
दिनों बाद गिरी पत्तियों से
गढ़ती घोसला
दूर से आता कोई नागरिक
बना लेता फैली जड़ो को
अपना बिछावन
वहां भी होता एक बसंत
और कोयल की कुक
भले ही न होता
कोई फुल या फल कभी
अदद एक पेड़ होता
लेकिन नही होता
कुछ भी
उलट इस पृथ्वी की उर्वरता के
की
आसमां में एक पेड़ होता ?
दिल्ली हादसों का नही इतिहास का शहर हैं...और यहाँ इतिहास किसी सल्तनत का नही शहर का हैं और शहर में कैद मुहब्बतों का है. हां, अपने पीछे छुट गए शहर के झरोंखों में झांकता हूँ तो तुम यादों की पोटली बन जाती हैं जिसे तुमने 'क्यूं' और 'क्या' के गिरह में बाँध रखा है.
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